Wednesday, December 27, 2023

PUSHPA -2 फिल्म पुष्पा —2 अगली कहानी.......

 PUSHPA -2 फिल्म: पुष्पा —2 अगली कहानी .....

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----------------इस बार मैं झुकाएगा साला

..........  लेकिन क्या यह असली नहीं है ?  .......... स्क्रिप्ट है.....   —डॉ सचिन बत्रा


                                         Photo courtesy/ Photo Source : Kerala9.com

 शादी के बाद पुष्पराज अपनी पत्नी श्रीवल्ली के साथ हनीमून मनाने विदेश चला जाता है। वहां दोनो रोमांटिक समय बिताते हैं। इस बीच इंस्पेक्टर शेखावत उसके लौटने का इंतजार करता है और पुष्पा के आने का पता लगा लेता है।

 

पुष्पराज विदेश से भारत लौटता है लेकिन इस बार अपनी पत्नी श्रीवल्ली को वापस लेकर नही आता। पुष्पा के लौटने के अगले ही दिन सुबह 6 बजे पुष्पा के आदमी उसे बदहवास हालात में सूचना देते हैं कि पुलिस अफसर शेखावत ने उनके लाल चंदन के दो ट्रक जब्त कर लिए हैं। इस पर पुष्पा अपने साथी को एक बैग में भारी रकम और एक लाल चिट्ठी देकर रवाना कर देता है।

 

पुष्पा पुलिस स्टेशन पहुंचता है तो शेखावत उसके जब्त ट्रक कर्मचारियों से मारपीट कर रहा होता है और पूरा टीवीमीडिया पहुंच जाता है। इसपर पुष्पा कसकर शेखावत का हाथ पकड़ लेता है। और कहता हैइतनी जल्दी भी क्या है सर पहले ब्रांड तो चेक कर लेते।

 

तभी पुष्पा हवा में हाथ लहराता है और शेखावत कुछ बोलने लगता है तो पुष्पा कहकर रोक देता है तभी पुष्पा का आदमी पानी की बोतल लाता है और पुष्पा कुछ पानी मुंह में भरकर चंदन की जब्त लकड़ियों पर थूक देता है। और अचानक लकड़ियों पर से लाल रंग धुल जाता है और असली भूरा रंग निकल आता है।

 

यह देखते ही पुलिस शेखावत के होश उड़ जाते हैं और टीवी मीडिया जो पुष्पा की जल्द गिरफ्तारी की बात कह रहा था वह अब पुलिस पर सवाल उठाने लगता है। सभी जगह ब्रेक्रिंग न्यूज सुनकर पुलिस के आला अधिकारी वहां पहुंच जाते हैं और शेखावत से नाराज होते हैं।

 

तभी पुष्पराज कहता है कि आज शेखावत के असली ब्रांड का पर्दाफाश होगा। क्योंकि यही वह पुलिस अफसर है जिसने पुलिस महकमे के एक वफादार स्निफर डॉग तक को अपनी रंजिश का शिकार बनाया था।

पुष्पराज एक बड़े पुलिस अधिकारी का हाथ पकड़ता है और कहता है कि आपको अपने पुलिस अफसर शेखावत का असली ब्रांड जानना है तो चलो। और पुलिस थाने में ले जाता है जिसे सारा मीडिया कैमरे के साथ फौलो करता है। तब पुष्पा थाने में रखी एक अलमारी की ओर इशारा करके पूछता है कि यह किसकी है...... जवाब में हवलदार बताता है कि अलमारी तो शेखावत साहब की है।

 

पुष्पा कहता है कि एक इलजाम मुझपर लगा, सच्चा कहा झूठा निकला।

अब मेरी बारी है। एक इलजाम मैं भी लगाता हूं। चिल्लाकर कहता है कि लाओ चाबी।

 

डरा हुआ हवलदार बड़े पुलिस अधिकारी और फिर शेखावत की तरफ देखता है मानो पूछ रहा हो कि क्या करूं। इसपर शेखावत हंसने लगता है लेकिन पुलिस अधिकारी हवलदार को अलमारी खोलने का आदेश देता है।

अलमारी खोलते ही उसमें से एक काला बैग निकलता है जिसमें एक करोड़ रूपए होते हैं और उसके साथ एक लाल चिट्ठी होती है।

यह देखते ही शेखावत सकपका जाता है और कहता है कि यह मेरा बैग नहीं है। इसपर पुलिस अफसर उसे चुप करा देता है और मन ही मन चिट्ठी पढ़ने लगता है। इसपर पुष्पा उसे टोक देता है और कहता है क्या साहब आप भी शेखावत सर के कारनामें छुपाने के लिए अकेले ही चिट्ठी पढने लगे।

कहता है कि बड़े सर हमें भी पढकर सुना दीजिए ना कि शेखावत सर आखिर हमसे चाहते क्या हैंताकि पता चले की कमी कहां रह गई सर।

पुलिस अधिकारी पढ़ता है कि

साहब यह रकम तो सिर्फ शगुन है अगर आपने हमारे रासते के कांटे पुष्पराज को हटा दिया तो जो कहोगे करेंगे। आप पुष्पा को सलाखों में कैद कर लो तो लाल चंदन का हमारा धंधा फिर कायम हो जाएगा। ऐसे आपका बदला भी पूरा हो जाएगा और हमारी परेशानी भी दूर हो जाएगी। बहुत गुमान है इसे कहता है कि झुकेगा नही साला।

 

इसपर पुलिस अधिकारी शेखावत पर बहुत नाराज होता है और मीडिया में पुलिस की छवि खराब करने का ताना देता है। शेखावत बारबार इसे गलतफहमी और षड़यंत्र बताता है लेकिन मीडिया को सामने देख पुलिस अधिकारी शेखावत को ससपेंड कर मीडिया को आश्वस्त करता है कि कल ही एक नया पुलिस अधिकारी इस थाने में लगा दिया जाएगा और आदेश देता है कि चिट्ठी लिखने वाले और सुपारी के पैसे भेजने वाले मंगलम श्रीनू को थाने में बुलाया जाए।

 

पुलिस फोर्स शाम होते होते चंदन दलाल मंगलम श्रीनू को थाने ले आती है। और तभी थाने का हवलदार अधिकारी को हौले से बताता है कि श्रीनू के ठिकाने पर हर समय लाल चंदन की लकड़ी रहती है वह बताता है कि मुखबिरों से पता चला है कि श्रीनू के आदमी शवयात्रा वाहन से तस्करी कर घाट की तरफ जाएंगे।

 

यह सुनकर पुलिस अधिकारी एक टीम भेजता है और घाट के करीब एक गाड़ी से चंदन की लकड़ी बरामद होती है बाकी सारे आदमी भाग जाते है। जब गाड़ी का नंबर और मालिक का नाम चेक कराया जाता है तो वह गाड़ी श्रीनू के साले के नाम पर निकलती है। पुलिस श्रीनू से पूछताछ की कोशिश करती है लेकिन गर्दन में ब्लेड का घाव होने के कारण श्रीनू सिर्फ इनकार में गर्दन हिलाता है और हाथ जोड़कर छोड़ने का इशारा करता है वह इशारे से बताता है कि यह पैसा भी उसका नहीं है और चिट्ठी भी उसने नहीं लिखी लेकिन पुलिस अधिकारी श्रीनू को सलाखों के पीछे भेज देता है।

यह जानकर श्रीनू की पत्नी पुलिस थाने पहुंचकर बहुत हंगामा करती है और कसम खाती है कि वह पुष्पा का सिर झुकाझुकाकर काटेगी। इसपर महिला पुलिस कर्मचारी उसे चेतावनी देते हैं और हंगामा  करने से मना करते हैं। श्रीनू की पत्नी गुस्से में वहां से चली जाती है और अगले दिन श्रीनू की पत्नी को खबरी बताते है। कि पुष्पा जंगल में शिकार करने के बाद वहीं कैंप लगाकर सो रहा है। उसे पता चलता है कि उसे खतरे का आभास ही नहीं हैइसीलिए सिर्फ दो लोगों के साथ है।

 

बदले की आग में जलती हुई श्रीनू की पत्नी अपने दो गुंडों के साथ पुष्पा के कैंप के पास पहुंचती है और अकेले ही पुष्पा का काम तमाम करने की बात कहकर अकेले ही कैंप में झांकती है। पुष्पराज सो रहा होता है और श्रीनू की पत्नी अपनी जीभ से ब्लेड निकालकर उसके गले पर हमला करती है लेकिन ब्लेड टूट जाता है। फिर वह पुष्पा की गर्दन पर चाकू चलाती है लेकिन खून की जगह चिंगारी निकलती है।

श्रीनू की पत्नी हैरत में पड़ जाती है कि ऐसा कैसे हुआ।

तभी पुष्पराज उठ खड़ा होता है और जोर से बोलता हैऔरत

तू औरत होती तो मैं झुकता नही साला,  लेकिन जहरीली बहुत है तू इसीलिए कुदरत ने तेरी गोद में बीज नहीं दिया। जबान दी तो मिठास नहीं दी .... जंग लगा ब्लेड रख लिया

हंसते हुए पुष्पा अपने गले पर से लोहे का कवच खोलकर फैंक देता है कहता है कि तेरी धार काम आई ... रफ्तार काम आई... तू तो गलत फंस गई बाई... हा हा हा

..... बहुत जहरीली है रे तू मादा .... फिर भी मैं तुझे नहीं मारूंगा ये है वादा

तभी पुष्पा के दो आदमी दौड़कर श्रीनू की पत्नी के हाथ पकड़कर पीछे को मोड़ देते है। और दोनों हाथ बांध देते हैं .... वह माफी मांगती है तभी पुष्पा कहता है कि

इससे पहले कि मैं इस जहरीली मादा को एक औरत मानकर छोड़ दूं। दूर ले जाओ इसे।

पुष्पा के आदमी श्रीनू की पत्नी को पास ही एक गुफा में ले जाते हैं। और पत्थर से गुफा का मुंह बंद करने से पहले कहते हैं कितूने क्या सोचा था कि तूने पुष्पराज की खबर ली और यहां गई ..... वे हंसते हैं और कहते हैं कि नहीं ... तुझे पुष्पा ने बुलाया था। यह कहकर पहले एक अनाज की बोरी में छेद करके श्रीनू की पत्नी के पास गिराते हैं और फिर एक ट्रेक्टर की मदद से गुफा का मुहं एक बड़े पत्थर से बंद कर देते हैं।

 

उधर पुष्पा बीड़ी सुलगाते हुए कहता है कि अनाज है तो उसे खाने कोई तो आएगा.... जो अनाज खाने जाएगा उसे निगलने को भी तो कोई आएगा। काल खुद फैसला करेगा।

 

गुफा में चूहे आते हैं फिर सांप भी जा पहुंचते है। यह देखकर श्रीनू की पत्नी चीखती है चिल्लाती है और अपनी साड़ी की ओट से माचिस निकालकर अनाज की बोरी को जला देती है। फिर हाथ की रस्सी खोल लेती है। तभी उसे गेहूं के बीच में एक लोहे की छड़ दिखाई देती है। वह गुफा के दूसरी ओर कुछ रोशनी देखकर उस छेद के पास छड़ से खोदना शुरू करती है। वह देखती है कि वहीं से चूहा बाहर निकल गया तो और प्रयास करती है तभी मिट्टी ढह जाती है और सुबह का सूरज दिखाई देता है।

 

वह जोर जोर से हंसकर कहती है कि पुष्पा तू तो झुकेगा ही साला हा हा हा हा।

गलती कर दी पहले मेरे भाई को मारा फिर पति को फंसा दिया। गलती कर दी ... जहरीली को छोड़ दिया। फिर ठहाके लगाकर हंसती है और अचानक चुप हो जाती है उसे नीचे से पानी की लहरों की आवाज आती है। 

वह नीचे झांकती है तो पता चलता है कि उसके पास पानी में कूदने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। वह फिर से हंसने लगती है और चिल्लाती है पुष्पा ... रही मैं जहरीली तुझे डसने.... हा हा हा कहकर पानी में कूद जाती है।

 

तभी पुष्पा कैंप से बाहर निकलकर जली बुझी लकड़ियों के पास बैठकर अपने हाथ में राख हुई एक लकड़ी को लेकर उसे फूंकता है और चिंगारी भड़क उठती है। पुष्पा कहता है कि एक कहावत पढ़ी थी हमने... आगे कुआं और पीछे खाई ..... और लकड़ी फैंकते हुए चिल्लाता है कि अरे बच बच जहरीली बाई.....

....... श्रीनू की पत्नी जैसे ही पानी में कूदती है तो वह सुलगती लकडी पानी में गिरती है और एक मगरमच्छ उस लकडी को मुंह में पकडने के लिए पानी से बाहर छलांग लगाता है। फिर पानी में चला जाता है और श्रीनू की पत्नी की चीख सुनाई देती है फिर उसकी साडी उसी लकडी के इर्द गिर्द लिपटी होती है और उसमें से धुआं धुआं आसमान की ओर जाता है।

इसके बाद थाने में एक नया पुलिस अधिकारी आता है और अफसर तस्करी वाले हाइवे पर मचान बना देते हैं साथ ही अतिरिक्त पुलिस भी तैनात हो जाती है। तभी नेता भूमि रेड़डी पुष्पा को कुछ दिन धंधा करने की सलाह देता है। और पुष्पा अपनी पत्नी श्रीवल्ली को लेने लौट जाता है। वहां उसे खबर मिलती है कि पुष्पा बाप बनने वाला है। यह सुनकर वह बहुत खुश होता है और दोनों गाना गाते हैं। दोनों मिलकर बच्चे के लिए शॉपिंग करते हैं।

 

रात के वक्त पुष्पा, श्रीवल्ली से कहता है कि देखो मुझे बाप के नाम का तोहफा नहीं मिला। लेकिन इस बच्चे को पुष्पा का नाम मिला है। इसे कोई नाजायज नहीं कह सकेगा। लेकिन पुष्पा यह तय करता है कि उसके पत्नी बच्चे और मां को वह तरे के माहोल में रहने नहीं देगा। और अपनी मां को गांव से लाने का कहकर लौट जाता है।

 

भूमि रेड्डी लाख चाहकर भी पुलिस को मैनेज नहीं कर पाता और लाल चंदन की डिलीवरी का दबाव पैदा हो जाता है। इसपर पुष्पा नेता भूमि रेड्डी को भरोसा दिलाता है कि माल की डिलीवरी मुरूगन को आसानी से हो जाएगी। लेकिन चिंता में पड़ा भूमि रेड्डी पुष्पा से प्लान पूछता है। लेकिन पुष्पा कहता है कि साहेब राज की बात नहीं पूछा करते और कहता है कि पुलिस चौकन्नी है तो अपन भी चंदन का जादूगर है.....आंखो को सब दिखाएगा और सामने ही ले जाएगा।

 

तभी एक ट्रक पास में से गुजरता है और मिट्टी उडती है और पुष्पा चलते ट्रक में चढ़ जाता है।

ट्रक के पहिए घूमते हैं और एक दूसरा ट्रक हाइवे पर दिखाई देता है। उसके पीछे और भी ट्रक होते हैं। पुलिस सभी ट्रकों और टैंकरों की सघन तलाशी करते हुए एकएक ट्रक को रवाना करती है तभी एक बड़ी सी लॉरी आती है और रूकती है पुलिस वाले उसे देखते हैं और रवाना कर देते हैं। उसके पीछे दूसरी लॉरी भी आती है उसे भी चेक करते हैं दोनों पर संगमरमर की बड़ी चट्टान रखी होती है। पुलिस वाले उसे रवाना करते हैं। तभी एक ट्रक में लकड़ी देखकर उसे संदिग्ध मानकर रोकते हैं। तो उसका ड्राइवर भाग जाता है। कुछ पुलिस वाले उसके पीछे जाते है।

 

इसी बीच पुलिस वाला अपने अधिकारी को मोबाइल पर फोन करता है। वहीं दूसरी ओर पुष्पा नेता भूमि रेड्डी को फोन करके कहता है कि साहेब हम आंखों में से नूर चुरा लेते हैं। वह बताता है कि माल सुरक्षित निकल गया है। लेकिन भूमि रेड्डी कहता है कि उसे तो माल पकड़ने की खबर मिली है। तो पुष्पा कहता है कि कहानी लिखने वाले कोही अपने हर किरदार का काम पता होता है।

 

उधर मुरूगन के आदमी ट्रक पर से माल उतारते दिखाई देते हैं और असल में जिसे संगमरमर की बड़ी चट्टान समझा गया था वह तो मार्बल की एक अलमारी होती है जिसमें लाल चंदन छुपाकर खुले आम तस्करी कर पुलिस की आंखों के सामने ही माल इधर से उधर कर दिया जाता हैं।

लेकिन उधर बदले की आग में ससपेंडेड पुलिस अधिकारी शेखावत को जॉली रेड्डी की मदद से पुष्पा की पत्नी श्रीवल्ली के ठिकाने का पता चल जाता है और वह उसे बंगले पर अपने कब्जे में करके पुष्पा को फोन करके धमकाता है।

 

इसपर पुष्पा फौरन हैलीकॉप्टर करके उस बंगले की छत पर पहुंचता है लेकिन पुष्पा जेसे ही उतरता है उसके पीछे पीछे एक स्निफर डॉग भी छलांग लगाकर उतरता है। यह वही कुत्ता था जिसे भंवर सिंह शेखावत ने गोली मार दी थी लेकिन वह बच गया था।

 

पुष्पा पुलिस डॉग को कहता है कि उस दिन उसके हाथ में बंदूक थी और उसे तेरी वफादारी की ब्रांड के बारे में नहीं पता था। जा मोती जा आज तेरेको अपना हिसाब भी करना है और मेरा भी। इधर शेखावत पुष्पा का इंतजार कर रहा होता है और श्रीवल्ली अपने गर्भ को चादर से लपेटकर सिसक रही होती है तभी दरवाजा खुलता है और शेखावत गोली चलाता है।

 

लेकिन यह क्या यह तो एक छोटा सा रोबोट कुत्ता था जो गोली लगने के बाद टू्टकर एक कोने में गिर जाता है और कुत्ते के भौंकने की आवाज शेखावत को दूर से पास सुनाई देने लगती है। बाहर पुष्पा एक अंगेज आइटी एक्सपर्ट के साथ आइपैड पर अंदर की लाइव तसवीरें देख रहा होता है। दरअसल रोबोट खिलौने के कैमरे से सब कुछ दिखाई और सुनाई दे रहा था।

पहले तो रोबोट खिलौने के टूटने पर शेखावत हंसता है लेकिन फिर स्निफर डॉग की आवाज पहचानकर घबराने लगता है। वह आश्चर्य में पड़ जाता है कि क्या करूं। तभी पीछे की खिड़की से स्निफर डॉग कूदता है और अपने जबड़े में शेखावत की पिस्टल छीन ले जाता है। डॉग थोड़ी दूर खड़े रहकर गुर्रराता है और शेखावत जब डॉग की आंखों में देखता है तो उसे गोली मारने की घटना याद आती है। वहीं डॉग भी आगे की घटना को याद करता है जब पुलिस कांस्टेबल उसे हास्पिटल ले जाता है और पुष्पा वहां उसे देखकर पूछताछ करता है कि क्या हुआ।  उस समय कांस्टेबल कहता है कि शेखावत को इस डॉग के जिंदा होने की बात पता चली तो वह इसे दोबारा मार ही देगा। इलाज के बाद पुष्पा उसे अपने साथ ले जाता है। यह सोचते सोचते डॉग फिर गुस्से में भौंकता है और पुष्पराज की एंट्री होती है।

 

पुष्पा अपनी जीभ को दांतों में उल्टी दबाकर शेखावत को कोई हरकत नहीं करने की चेतावनी देता है। तभी डॉग शेखावत से छीनी हुई पिसटल को पुष्पा के पैरों में गिरा देता है। और पुष्पा कहता है किक्या सर आपको तो आपके लिए ही रखी गई ईमानदारी की ब्रांड की कद्र नहीं है।

उस दिन आपको नंगा देखकर मालूम है कि यह डॉग आपसे क्या कह रहा था। .... कह रहा था कि सर आपकी वर्दी कहां गई, ऐसा किसने किया। आप मुझे छोड़ दो मैं उसके टुकडे टुकड़े कर दूंगा। लेकिन सॉरी सर सॉरी ..... आप तो सुनने को तैयार थे समझने को।

 

क्या सर अपने की पुलिस डिपार्टमेंट के वफादार को गोली मार दी। ......

शेखावत बडबड़ाता है कि नहीं नहीं ऐसा कैसे हुआ .... यह जिंदा कैसे है .....

 

पुष्पा कहता है कि चिंता नको सर .... दिमाग पर ज्यादा जोर देने का नहीं.... ​अब तोबहुत लेट हो गया है। आप नशे में रहते हो साहेब....

..... मैने वादा किया था आपसे कि पैसा पोजीशन और ये वर्दी सब छीन लूंगा मैं.....

क्या पुष्पा की बात को मजाक समझे क्या ..... मैं कभी झुकेगा नहीं .. लेकिन सर आपको झुकाना पड़ेगा... क्योंकि एक गलती को मैने माफ कर दिया, दूसरी को भुला दिया फिर तीसरा अपराध को मैं सह नहीं पाया .... लेकिन सर लगता है तुमको अपनी ही जिंदगी से बहुत शिकायत है जो तुम चौथी बार पुष्पा को फ्लावर समझे लेकिन कांटों के फायर में फंस गए।

 

पहले मुझे नाजायज कहा और अब मेरी पत्नी को परेशान कर रहे हो... सर आप मर्द कब बनोगे ये क्या शिखंडी बनकर पुष्पा का शिकार करने को गए।

 

तभी शेखावत टेबल पर पड़े मैटल के गुलदस्ते को उठाकर पुष्पा को मारने की कोशिश करता है और स्निफर डॉग मोती शेखावत पर झपट्टा मारता है। जिससे शेखावत और डॉग दोनो ही खिड़की से पांच मंजिल नीचे गिर जाते हैं। हालांकि डॉग भी घायल हो जाता है लेकिन शेखावत की गर्दन को दांतों में दबाए रहता है छोड़ता ही नहीं। फिर कुछ देर बाद ही उसे मरा छोड़कर लडखड़ाता हुआ पेड़ के नीचे बैठ जाता है। बिल्डिंग का गार्ड शोर मचाता है और भीड़ जमा हो जाती है।

 

श्रीवल्ली रूआंसा होते हुए अपने पति पुष्पा से गले लग जाती है। पुष्पा उसको भरोसा दिलाता है कि भविष्य में सुरक्षा की चूक नहीं होगी और बेड पर पड़ा शेखावत का मोबाइल उठाकर कॉल लिस्ट देखता है जिसमें उसे जॉली रेड्डी का फोन नंबर मिलता है। कुछ देर बाद पुष्पा अपनी मां और नर्स को अपनी पत्नी का ख्याल रखने का कहकर हैलीकॉप्टर के पास जाता है। पुष्पा शेखावत के फोन से जॉली रेड्डी को कॉल करता है।

 

जॉली रेड्डी फोन रिसीव करते हुए खुश होकर पूछता है कि वाह शेखावत सर मान गए आपको पुष्पा पर आपने पुष्प चढा दिए। तो कुछ देर खामोश रहकर पुष्पा कहता है कि तुझे उस दिन जिंदा छोड़ दिया था .... गलती की सजा में पुष्पा ने डिस्काउंट कर दिया था क्योंकि कोंडा रेड्डी का पार्टनर था रे.... लेकिन अभी तेरा डिस्काउंट कूपन खतम हो गया जॉली..... तेरे सीने से अब बाहर आएगी लाली... फिर भी एक आप्शन देता है... जैसा अमिताभ बच्चन देता है... तू गोंडा रेड्डी को सजा देगा तो तेरी सजा माफ....... हा हा हा हा..... योर टाइम स्टार्टस नाओ.......

घबराया हुआ जॉली रेड्डी गोंडा रेड्डी को गोली मारकर खुद भी आत्महत्या कर लेता है। एक बारगी लगता है कि पुष्पा के सारे दुश्मन खतम हो गए हैं।

वहीं पुष्पराज के पिता की पहली मां और बेटे की संपत्ति को गांव के दबंग कुर्क कर देते हैं। ऐसे में पुष्पराज की मां उसे अपने भाई और बड़ी मां को बचाने की फरियाद करती है। जब उसके भाई और बडी मां का सामान फैंकने की कोशिश होती है तो वह सेठ के सामने अपने भाई की हवेली की तीन गुना कीमत रखकर पिस्तौल तान देता है और कहता है।

 

देखो सेठ हम एक ही गांव के हैं। तुम्हें मुनाफे से मतलब और मुझे मेरे परिवार के हक की चिंता। अब या तो तीन गुनी कीमत पर मेरे भाई की हवेली छोड दे या फिर अपनी जिंदगी कुर्बान कर।

 

सेठ जब बात नहीं मानता तो बारिश शुरू हो जाती है और गांव के लोग नाराज होकर सेठ पर चप्पलें और पत्थर फैंकने शुरू कर देते हैंं। आखिरकार सेठ कीमत लेकर रवाना हो जाता है और पुष्पा के बडे भाई और बडी मां की आंखों में आंसू आने लग जाते हैं। पुष्पा का बडा भाई माफी मांगता है लेकिन पुष्पा मुडकर नहीं देखता लेकिन एक बार रूककर कहता है किमैं तुमको माफ कर भी देता लेकिन मेरी मां से यह कहने पर कि मैं किसका बेटा हूं यह पता नहीं, तुमने अपने अधिकार खो दिए हैं। मेरी शादी में रोड़ा अटकाकर और मेरी मां का अपमान करके कुछ बाकी नहीं छोड़ा। ..... लेकिन मेरी मां के कहने पर मैं भाई होने की रस्म पूरी कर रहा हूं। कभी भी कोई दिक्कत हो तो बताना..... लेकिन मेरे घर नहीं आना ..... नाराज होकर मेरी मां को नहीं सताना और एक सीता जैसी मां पर सवाल नहीं उठाना... वरना मैं भूल जाएगा कि तेरा और मेरा खून एक बाप ने बनाया है।

इधर गोंडा रेड्डी की सांस बंद होती है वहीं पुष्पा के घर बेटे का जन्म होता है और पुष्पा अपनी पत्नी और बच्चे को विदेश में शिफ्ट कर देता है वहां श्रीवल्ली का नया नाम होता है सीवी और उसे बेटे का नाम विराज पुष्पराज रखा जाता है। विराज बड़ा होकर बिलकुल अपने पिता पुष्पा के जैसा ही दिखाई देता है। विराज पुष्पराज को फॉरेंसिक इनवेस्टीगेशन में बहुत रूचि होती है और वह बचपन से ही इसकी पढ़ाई और रिसर्च करके एक्सपर्ट बन जाता है।

 

उसकी क्लासमेट भी एक भारतीय लडकी होती है जिसका पिता भारत में पुलिस के ब्लाइंड केस साल्विंग विंग का मुखिया होता है। वह लड़की विराज पुष्पराज के साथ अपनी सहेली की शादी में शामिल होने के लिए भारत लौटती है। इस बीच लड़की अपने पिता और विराज के साथ कई केस सुलझाती है। इसी बीच विराज उस लड़की के पिता से गांव जाने का जिक्र करता है और पुलिस का वह मुखिया उस गांव में लाल चंदन की तस्करी की अनसुलझी पहेली के बारे में बताता है।

 

विराज पुष्पराज अपनी मां श्रीवल्ली को बिना बताए अपनी दोस्त के साथ गांव निकल जाता है और अपने पिता पुष्पराज से मिलकर वहीं ठहरता है।

 

विराज बातोंबातों में पुष्पराज को चंदन तस्करी की पहेली सुलझाने की अपनी योजना और फॉरेंसिक साइंस के बारे में बताता है। इसपर पुष्पराज अपने बेटे को इसे खतरनाक बताते हुए मामले से दूर रहने के लिए समझाता है वह विराज को समझाता है कि तस्करी बहुत निर्मम धंधा है और इसमें इनसान की जान बहुत सस्ती है।

लेकिन विराजअपने पिता की बात नहीं मानता और गुपचुप अपनी जांच जारी रखता है।

विराज पुष्पराज हाईवे की वीडियो और अनुसंधान के बाद मार्बल के ट्रकों की बढ़ती संख्या पर संदेह करते हुए जांच की सिफारिश करता है लेकिन जब जांच होती है तो मार्बल की चट्टाने असली निकलती हैं। लेकिन चंदन तस्करी का धंधा बंद होने की कगार पर जाता है। लाल चंदन के खरीददार पुष्पराज पर माल सप्लाई का तकाजा करते हैं। और पुष्पराज कहता है कि माल उन्हें हर हालत में मिलेगा।

 

तभी पुष्पराज को खबर मिलती है कि मौसम खराब होने के कारण उसे बेटे विराज उसकी दोस्त की फ्लाइट कैंसल हो गई है। लिहाजा उन्होंनं क्रूज शिप की टिकट बुक कराई है जो कि चेन्नई होते हुए जाएगा। तो पुष्पराज पूरे क्रूज शिप को ही खरीद लेता है और जहाज के नीचे चंदन की लकड़ियां बांध दी जाती हैं।

 

वह जहाज़ उसके बेटे के साथ ही तस्करी का चंदन भी ठिकाने पर पहुंचा देता है और गोताखोर उसकी डिलीवरी देते हैं। तब पुष्पराज फिर कहता है कि उसे रोकना नामुम्किन है। लेकिन विराज पुष्पराज जब अपनेक्रूज शिप से उतर रहा होता है तो उसके पानी की लहरों के साथ जहाज पर टकराती एक लाल लकड़ी मिलती है और वह जहाज के आने जाने के दस्तावेजों की जांच करता है तो उसे पता चलता है कि क्रूज शिप का यह सफर उसके पिता पुष्पराज ने खरीद लिया था। इसके बाद वह अपनी मां श्रीवल्ली से सवाल करता है तो रोते हुए पूरी कहानी बताती है। इसी बीच विराज के मोबाइल पर एक ईमेल आता है कि भारत सरकार ने विराज उसकी दोस्त की केस स्टडीज को गौर करते हुए तस्करी के मामलों में कंसल्टेंट नियुक्त किया है।

Disclaimer- This is not the real story... it is a proposed script

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