अंदाज अखबारों के - डा सचिन बत्रा
आज दुनियां भर में लाखों की संख्या में समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। उनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिनके अलग अंदाज ने पाठकों का मन ही मोह लिया है और अपनी विशिष्ठता के दम पर अपना एक अलग स्थान बनाया है। डेली लिबरेशन फ्रांस की राजधानी फैशन नगर यानि पेरिस से निकलने वाला एक ऐसा समाचार पत्र है जो कपड़े पर छपता है। इसके नियमित पाठकों की संख्या हजारों में है लेकिन इसे पाना आसान नहीं है। एक अरसा पहले जारी हुई एक जानकारी के मुताबिक इसकी अग्रिम बुकिंग की इंतजार कतार में चार हजार लोग आंखे लगाए बैठे थे। 16 पृष्ठीय यह अखबार रविवार को 24 पृष्ठों में प्रकाशित होता है। इसका मूल्य भी कागज के अखबारों की तुलना में 15 गुणा अधिक है। बारीक कपड़े पर छपने वाले इस अखबार में रंगीन अक्षर, चित्रमय सामग्री और रंग बिरंगे विज्ञापन भी प्रकाशित होते हैं। यदि इसका कोई विशेष अंक निकाला जाता है तो इसके दाम और बढ़ा दिए जाते हैं।
आज दुनियां भर में लाखों की संख्या में समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। उनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिनके अलग अंदाज ने पाठकों का मन ही मोह लिया है और अपनी विशिष्ठता के दम पर अपना एक अलग स्थान बनाया है। डेली लिबरेशन फ्रांस की राजधानी फैशन नगर यानि पेरिस से निकलने वाला एक ऐसा समाचार पत्र है जो कपड़े पर छपता है। इसके नियमित पाठकों की संख्या हजारों में है लेकिन इसे पाना आसान नहीं है। एक अरसा पहले जारी हुई एक जानकारी के मुताबिक इसकी अग्रिम बुकिंग की इंतजार कतार में चार हजार लोग आंखे लगाए बैठे थे। 16 पृष्ठीय यह अखबार रविवार को 24 पृष्ठों में प्रकाशित होता है। इसका मूल्य भी कागज के अखबारों की तुलना में 15 गुणा अधिक है। बारीक कपड़े पर छपने वाले इस अखबार में रंगीन अक्षर, चित्रमय सामग्री और रंग बिरंगे विज्ञापन भी प्रकाशित होते हैं। यदि इसका कोई विशेष अंक निकाला जाता है तो इसके दाम और बढ़ा दिए जाते हैं।
सबसे रोचक बात यह है कि पाठकों के लिए इसका महत्व मात्र पढ़ने तक ही सीमित नहीं है बल्कि लोग इसका इस्तेमाल कपड़े सिलवाने, पर्दे बनाने और अन्य घरेलू काम में भी इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं इस अखबार से निर्मित कपड़ों ने पेरिस में एक नया फैशन शुरू कर दिया है। आलम यह है कि इस शहर में आने वाले पर्यटक भी इस अनूठे अखबार को पाने के लिए कतार में खड़े दिखाई देते हैं। गौर करने लायक बात यह है कि इस समाचार पत्र को अपनी प्रसार संख्या बढ़ाने के लिए विज्ञापन देने की जरूरत नहीं पड़ती। इस प्रकार डेली लिबरेशन ने कपड़ा उद्योग को भी संबल दिया है। बताया जाता है कि इसके प्रकाशक ने भी उत्साहित होकर भविष्य में जर्मन, इटैलियन, चैक और अंग्रेजी भाषाओं में भी इस अखबार को प्रकाशित करने का मन बना लिया है।
अब आप चैंकने के लिए तैयार हो जाइए, और सोचिए कि एक सुबह आप अपने घर के बाहर से अखबार उठाएं और उसमें से रातरानी, चम्पा, मोगरा या गुलाब जैसी महकती खुश्बू भी समाचारों के साथ आपके घर को महका दे और आपका मन खुशगवार कर दे, तो कैसा रहे। जी हां, ऐसा ही एक समाचार पत्र चीन के पूर्वी बंदरगाह थ्येनजिन से प्रकाशित होता है। खुश्बू महकाने वाले ग्रीटिंग कार्ड और चंदन की महक वाले बाॅलपेनों से प्रेरणा लेकर थ्येनजिन यूथ न्यूज पब्लिशिंग ने अपनी स्थापना की 15वीं जयंती के मौके पर मार्च 1998 में खुश्बूदार अखबार का प्रकाशन शुरू किया। यह चीन का पहला महकता हुआ अखबार है। चाइना डेली समाचार पत्र में इस अखबार के बारे में पाठकों की राय प्रकाशित करते हुए कहा था कि वाकई इस अखबार की महक बहुत ताजी और लुभावने होती हैं।
चलिए अब हम आपको जिस अखबार के बारे में बताने जा रहे हैं। उसे उठाना बच्चों के बस की बात नहीं है। अब सोचिए कि आपको सुबह-सुबह उनींदी आंखों से अगर ढाई किलो का अखबार उठाना पड़े तो आप कैसा महसूस करेंगे। न्यूयार्क में ऐसा ही हो रहा है। यहां का अखबार न्यूयार्क टाइम्स हर रविवार को 750 पृष्ठों में प्रकाशित होता है। इसके चलते वहां के कागज उद्योग और रद्दी वालों के वारे न्यारे हो गए हैं। हालांकि आम दिनों में इसका वजन सामान्य होता है लेकिन रविवार को यह 2.5 किलो का होता है। अब आपके जहन में सवाल पैदा हो रहा होगा कि आखिर इतना भारी अखबार पाठकों तक पहुंचाया कैसे जाता होगा और हाॅकर इसे कैसे फैंकते होंगे। इस अखबार में पूरे एक सप्ताह के समाचार, समाचारों का विश्लेषण के अलावा शैक्षणिक, चिकित्सकीय, खेलकूद, पुस्तक समीक्षा, पहेली, खरीद बिक्री, विज्ञापन के अलावा सम्पादकीय लेख आदि प्रकाशित होते हैं। इस अखबार को पढ़ने में एक व्यस्त इनसान को तकरीबन दस दिन लग जाते हैं। वहीं फुर्सत वाले पाठक भी केवल अपनी रूचि के मुताबिक इसे हफ्ते भर में ही पढ़ पाते हैं। ऐसे में यह अखबार पूरा नहीं पढ़ा जाता और दूसरा रविवार आ जाता है। कुछ नया करने की इच्छा तो सबमें होती है, पेन एम और न्यूयार्क की फिनेन्सियल वल्र्ड मैग्जीन ने भी अरसा पहले एक साझा योजना पर काम शुरू किया था। जिसमें प्रतिघंटा अखबार निकाला जाना था। इसका मक्सद पाठकांे को हर घंटे की ताजा खबर देना था।
इसी प्रकार यदि आप समुद्र के बीचों-बीच एक जहाज पर बैठकर यात्रा कर रहे हों और सुबह-सुबह आपके सामने ताजा खबरें लिए एक अखबार पेश हो जाए तो निश्चय ही आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। जी हां, ऐसा कई वर्ष पहले 22 फरवरी 1903 को एस्ट्रिया नामक जहाज में हो चुका है। जो उस समय न्यूयार्क से अपनी तयशुदा यात्रा पर जा रहा था। अटलांटिक महासागर के बीचों-बीच ब्रिटेन की वायरलेस सेवा कंपनी की सहायता से यह कार्य संभव हो पाया। खास बात यह भी थी कि उस दिन उस जहाज मंे अन्य यात्रियों के साथ वायलेस टेलीग्राफी के खोजकर्ता गुगलिल्मों माॅरकोनी भी मौजूद थे।
बहरहाल आज जमाना पूरी तरह बदल गया है। हमारे देश में ही इंटरनेट पर कई समाचार पत्रों की ई-वेबसाईट्स ही नहीं वेब पोर्टल्स भी लोगों तक आसानी से समाचार, सूचनाएं और जानकारी प्रेषित कर रहे हैं। जरूरत है तो बस इतनी कि चंद बटनों को आपकी उंगली का इशारा मिले। हमारे देश में 8 अप्रेल 1998 को न्यूज ट्रेक द्वारा ई-मेल अखबार जारी किया गया था। उस दौर में एक पाठक के लिए उसका खर्च 25 पैसे आया था और उस दौर में इसके 45 हजार पाठकों को यह अखबार नियमित पहंुचाया जाता था। लेकिन आज नवतकनीक के दौर मंे आप और हम अपने मोबाइल पर ही पल-पल हो रहे बदलाव को जान सकते हैं। एक समय आएगा जब आप अपने मोबाइल की टाॅर्च से दीवार पर ही वर्चुअल समाचार पढ़ पाएंगे और वे भी दृष्यों के साथ।
-राजस्थान पत्रिका में 28 फरवरी 1999 के रविवारीय में प्रकाशित
(नोटः इसमें आखिरी अनुच्छेद को आज के संदर्भ में बदला गया है। )
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