पास मैं तेरे आता नहीं हूं, नजरें मैं तुझसे मिलाता नहीं हूं
इश्क न हो जाए तुझसे ये डर है, टूटे हुए इस दिल की फिकर है
.............इसीलिए तो सुनाता नहीं हूं,,,,,, जताता नहीं हूं,,बताता नहीं हूं
...फूल सुनहरा, खिलाता नहीं हूं।
तुम रूठो तो मनाता नहीं हूं, तोहफे से भी रिझाता नहीं हूं
सिहर न जाए तू गम का सफर है, छूटी हुई लकीरों सा ये घर है
.............इसीलिए तो दिखाता नहीं हूं,,,,,, जताता नहीं हूं,,बताता नहीं हूं
...फूल सुनहरा, खिलाता नहीं हूं।
सुर पे तेरे ताल मिलाता नहीं हूं,साया भी तेरा सहलाता नहीं हूं
छूट न जाए तू पतंग सी लहर है, प्यार ये मेरा तो मीठा जहर है
.............इसीलिए तो पिलाता नहीं हूं,,,,,, जताता नहीं हूं,,बताता नहीं हूं
...फूल सुनहरा, खिलाता नहीं हूं।
खुशी तेरी अपनाता नहीं हूं, मन रखने को मुस्काता नहीं हूं
ठहर न जाए तू ये स्याह पतझड़ है, कांच-कांच बिखरी सी सहर है
.............इसीलिए तो, बुलाता नहीं हूं,,,,,, जताता नहीं हूं,,बताता नहीं हूं
...फूल सुनहरा खिलाता नहीं हूं।
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