फ्लेश बैक - - स ब
आज दूर तक जाउंगा, दूर तक जाउंगा,
पुराने रासतों से कुछ पत्थर, चुन लाउंगा।
मिलेंगे कुछ फूल, गेंद और कंचे,
अपने पैरों में कांटें बीन लाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा ...........
उडे़गी फिर तितली, भंवरे और पतंगें,
अपने हाथों में कुछ जख्म खींच लाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा....................
बहेगी कोई कश्ती, सीपें और पत्ते,
लहरों के इलाके में घरौंदा बनाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा.................
मचलता इक चांद, रातें और सितारे,
टूटे सपनों से काजल सजाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा..................
लिखूंगा कोई चिट्ठी, बातें और यादें,
हथेली के किनारों पे स्याही लगाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा..................
छूएंगे वो दुपट्टे, आंचल और साए,
उधड़े छिले रूमालों से रंग लगाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा..................
कुछ गमले उठाउंगा, कुछ फूल दे आउंगा,
कुछ आंचल दे आउंगा, कुछ धागे ले आउंगा।।
- स ब 18/03/2011
आज दूर तक जाउंगा, दूर तक जाउंगा,
पुराने रासतों से कुछ पत्थर, चुन लाउंगा।
मिलेंगे कुछ फूल, गेंद और कंचे,
अपने पैरों में कांटें बीन लाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा ...........
उडे़गी फिर तितली, भंवरे और पतंगें,
अपने हाथों में कुछ जख्म खींच लाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा....................
बहेगी कोई कश्ती, सीपें और पत्ते,
लहरों के इलाके में घरौंदा बनाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा.................
मचलता इक चांद, रातें और सितारे,
टूटे सपनों से काजल सजाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा..................
लिखूंगा कोई चिट्ठी, बातें और यादें,
हथेली के किनारों पे स्याही लगाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा..................
छूएंगे वो दुपट्टे, आंचल और साए,
उधड़े छिले रूमालों से रंग लगाउंगा।
आज कुछ दूर तक जाउंगा..................
कुछ गमले उठाउंगा, कुछ फूल दे आउंगा,
कुछ आंचल दे आउंगा, कुछ धागे ले आउंगा।।
- स ब 18/03/2011
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