Friday, November 25, 2011

गीत - तुझको, बो रहा हूं मैं

पल-पल खुदको खो रहा हूं मैं।
मुझमें, तुझको बो रहा हूं मैं।।

उग रही है फसल, सपनों की, रात दिन।
कैसी अजब हसरतें, ढो रहा हू मैं।
मुझमें, तुझको बो रहा हूं मैं।।........

बढ़ती ही जाए, तू मुझमें बड़े प्यार से।
जागता सा सो रहा हूं मैं।
मुझमें, तुझको बो रहा हूं मैं।।.........

फूल सी महके तू मुझमें, पर जाने ना।
अपने से पराया हो रहा हूं मैं।
मुझमें, तुझको बो रहा हूं मैं।।..........

मन बांवरा है, ढूंढे तुझे हर जगह।
आंखों में बादल डुबो रहा हूं मैं।
मुझमें, तुझको बो रहा हूं मैं।।.........

बो रहा हूं मैं, खो रहा हूं मैं......बो रहा हूं.....खो रहा हूं.......।
बो रहा हूं, तभी तो, खो रहा हूं मैं।
नमकीन आंसू रो रहा हूं मैं।
मुझमें, तुझको बो रहा हूं मैं।।...................बो कर, खो रहा हूं मैं।

                                                               -स.ब.
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1 comment:

  1. jab jeevan ke pnno(PAPER) ko pltna chahha(want)
    sirf tushko hi paya
    ajj vo nhi to kya hua,
    uski kushbu ko jeevan k hr pnne m paya(get)

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