Friday, November 26, 2010

खबर के उस पार

अक्सर अखबारों में आजकल एक खबर तैरती हुई दिखाई देती है- पत्नी अपने दो बच्चों संग प्रेमी के साथ फरार हो गई। सुनकर हर बार अचंभा होता था कि जब पत्नी अपने बच्चों को साथ ले जाती है तब भी उनसे न्याय नहीं होता और जब छोड़ जाती है तभी भी इंसाफ नहीं होता। खैर खबर के उस पार जाने की कोशिश की तो एक कहानी सामने आई।
................ सजल पांच साल का था तो वह हर बार अपनी मां और पिता से सवाल कर बैठता था कि आखिर आप दोनों की शादी में मैं शामिल क्यों नहीं हो पाया। जब सजल 8 साल का हुआ तो उसकी मां ने उसके पिता से नाता तोड़कर किसी दूसरे से रिश्ता जोड़ लिया। सजल भी मां जीवनी के साथ ही था। जीवनी ने दोबारा धूमधाम से शादी की, जिसमें सजल भी शरीक हुआ। सजल को बताया गया कि उसके पुराने पापा खराब थे, इसीलिए नए पापा के साथ रहना होगा। नन्हा सजल बचपने में शादी की रौनक देख चहक उठा। उसके लिए तो शादी का मतलब खेलना ही था। लेकिन चंद दिनों में ही नए पापा के तेवर भांपकर सजल की चंचलता जाती रही। वह खामोश हो गया, उसका मन बार-बार यही कहता था कि पहले वाले पापा तो उसे जी जान से चाहते थे, फिर मम्मी ने ऐसा क्यों किया। एक बार हिम्मत जुटाकर अपनी जिद्दी मां से वह बोल पड़ा...... पहले वाले पापा से पहले की तरह शादी कर लो मां.....। लेकिन मां ने त्यौरियां चढ़ाकर डपट दिया।  इसी दिन से सजल 8 साल की उम्र से 28 साल की संजीदगी को ओढ़ता चला गया। साल भर में सजल नशे के जाल में फंसता चला गया। शराब, सिगरेट, चरस, गांजा और गम भुलाने को जाने क्या-क्या पीता गया। वक्त गुजरा तो उसका नाता अपराध से भी जुड़ गया। स्कूल के दरवाजे से जी चुराने लगा, परीक्षा दी तो परिणाम भी शून्य। पता लगा तो मां ने पीट दिया और दर्जन भर गाली भी निकाल डाली........... नालायक बाप की नालायक औलाद........ सब्र टूटा तो सजल घर छोड़कर भाग छूटा। उसके कुछ ही महीनों बाद सजल की मां जीवनी और उसके नए पति के बीच भी महाभारत छिड़ गई। आरोप-प्रत्यारोप में पति ने जीवनी को ताना मार दिया....... साली, पहले पति को ही धोखा देकर छोड़ भागी, मेरे साथ क्या वफादार रहेगी, जो अपने पति की नहीं हुई वो किसी और की क्या होगी..........। बात जीवनी को चुभ गई, लेकिन तब तक जीवनी का सब कुछ लुट चुका था। धन-दौलत, रिश्ते-नाते, खुशियां और सुकून सब कुछ। अब उसका बेटा रेलवे स्टेशन के करीब एक दुकान पर काम करता है और खुद जीवनी निजी अस्पताल में नौकरी कर रही है। थोड़ी जवानी भी बाकी है और देखने में भी खूबसूरत, सबको पता है उसके दो पति की दास्तां इसीलिए जहां भी काम मांगने जाती है तो हर कोई अकेले में मिलने को कहता है। तो कोई बोल पड़ता है कि पहले खुश कर दो तब नौकरी तो मिल ही जाएगी। सड़क पर गुजरते लोग फब्तियां कसते हैं.....कोई माल कहता है तो कोई वैश्या तो कोई रखैल तक कहते हुए अपने होंटों पर जीभ फेरकर ईशारे करता है। यह देख-सुनकर जीवनी भीतर से बौखला जाती है और बड़बड़ाती हुई अपने पहले पति पर अपनी बर्बादी का आरोप लगाती है। कभी चूहे मारने की दवा उठा लाती है तो कभी गोली, मगर सब खाकर भी बच जाती है। दूसरी ओर सजल खुदको सवाल का जवाब देते हुए कहता है..... किसी भी बच्चे को अपने माता-पिता की शादी में शामिल होने की ख्वाहिश नहीं रखनी चाहिए। सोचकर वह अपनी मां को कोसता है और अपने फटे पुराने स्कूल बैग से अखबार के कुछ पन्ने निकालकर पढ़ना शुरू कर देता है। तभी उसकी निगाह एक खबर पर अटक जाती है। सजल पढ़ता है- एक मां अपने दो बच्चों को साथ ले प्रेमी संग भागी...... और बोल पड़ता है खुद भी बर्बाद होगी और अपने बच्चों को भी बर्बाद करेगी मेरी मां की तरह। उसकी आंखों में खून के आंसू तैर जाते हैं क्योंकि उसे भी याद है कि उसकी मां की खबर भी अखबार में ऐसे ही छपी थी।
    खबर के उस पार यही कुछ मिला, एक पत्नी अपने पति को छोड़ने के बाद बर्बादी का ठीकरा उसीपर फोड़ रही है, वहीं बेटा अपनी मां को इसके लिए जिम्मेदार मान रहा है। आखिर गलती किसकी? इस सवाल का जवाब खुद सजल है जिसका कैरियर बर्बाद हो गया। उसके पापा उसे पायलट बनाना चाहते थे लेकिन मां ने ही पिता का साया और ममता दोनों छीन ली। जीवनी को दो में से एक पति भी नहीं मिला और बेटा भी हाथ से गया। लेकिन जीवनी  अब समझ गई है कि मां-बाप की शादी बच्चे नहीं देखें यही सही है। इसीलिए अस्पताल में बच्चा जनने वाली हर औरत को चेताती है कि बच्चे का भविष्य पिता के घर में है, कभी घर की दहलीज लांघने की गलती न करना। पति अच्छा बुरा जैसा भी है अपना वही होता है। जीवनी अब बार-बार पहले पति के बारे में सोचती है और अपनी मांग में पहले पति का सिंदूर भी बड़ी इज्जत के साथ भरती है लेकिन उसे अब तक पता नहीं है कि वह तो दो साल पहले ही विधवा हो चुकी है। लेकिन पति भी दो थे तो अब उसे विधवा भी कैसे कहा जाए।

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