Tuesday, November 23, 2010

मैं कार हूं , तेज़ तर्रार हूं

मैं कार हूं , तेज़ तर्रार हूं
यह कहती है दिल्ली की गाड़ियां।
जब भीड़ से झुंझलाती हैं ,
हार्न से धमकाती है।
बेकार की बगल से ,
कट मार निकल जाती है।
धूल के गुबार से ,
रफ्तार समझाती है।
इंडीकेटर से इतराती है ,
ब्रेक से झल्लाती है।
गड्ढों में रहम, हाइ-वे पर बेरहम ,
नजरों से छिन फरार हो जाती है।
रात में चोर को,  हॉर्न से डराती है ,
कहती है मैं कार हूं , तेज तर्रार हूं।

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